15 मई से शुरू होगी प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं और हल्दी की एमएसपी पर खरीद
हिमाचल सरकार का बड़ा फैसला
हिमाचल प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (PK3Y) के तहत 15 मई से प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 60 रुपये प्रति किलोग्राम और कच्ची हल्दी को 90 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदेगी।
कच्ची हल्दी एमएसपी पर खरीदेगी सरकार-
हिमाचल प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (PK3Y) के तहत 15 मई से प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 60 रुपये प्रति किलोग्राम और कच्ची हल्दी को 90 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदेगी।
पांगी घाटी बनेगी पहली प्राकृतिक खेती की उप-मंडल-
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 15 अप्रैल को पांगी में हिमाचल दिवस समारोह के दौरान घोषणा की थी कि चंबा जिले की जनजातीय पांगी घाटी को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल बनाया जाएगा। पांगी में हाल ही में जौ की बुवाई शुरू हुई है, और वहां प्राकृतिक रूप से उगाए गए जौ की खरीद के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने हेतु मूल्यांकन किया जा रहा है। कृषि सचिव सी. पॉलरासु ने बताया कि गेहूं और कच्ची हल्दी के लिए प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की पहचान कर ली गई है। उन्होंने कहा कि मक्का, गेहूं, कच्ची हल्दी और जौ के लिए सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य देश में इन फसलों के लिए सबसे अधिक है।
पांगी में प्रमाणन की प्रक्रिया शुरू-
कृषि विभाग ने पांगी को प्राकृतिक खेती उप-मंडल के रूप में प्रमाणित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। योजना के तहत एक समिति गठित की गई है, जो भागीदारी गारंटी योजना के तहत बड़े क्षेत्र के प्रमाणन के लिए सर्वेक्षण कर रही है। पिछले वर्ष, योजना के तहत राज्य के 1,509 प्रमाणित किसानों से 399 मीट्रिक टन प्राकृतिक रूप से उगाए गए मक्का के दानों की खरीद की गई थी। इन दानों को आटे में संसाधित कर हिम भोग मक्की आटा नाम से खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से बेचा गया।
प्राकृतिक खेती और हिमाचल –
वर्तमान में, हिमाचल प्रदेश में 3.06 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इनमें से 2.22 लाख किसान 38,437 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। साथ ही, 1.98 लाख किसानों को योजना के तहत प्रमाणन प्राप्त हो चुका है।
निष्कर्ष:
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (PK3Y) के अंतर्गत गेहूं और हल्दी की रिकॉर्ड दर पर MSP पर खरीद न केवल जैविक उत्पादों को मान्यता देती है, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील खेती की ओर राज्य को अग्रसर करती है। पांगी घाटी को पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल बनाना और किसानों को व्यापक प्रमाणन और प्रशिक्षण उपलब्ध कराना इस परिवर्तनकारी पहल को और मजबूती देता है।
“प्राकृतिक खेती को नया मान और किसानों को बेहतर दाम—हिमाचल का यह कदम देशभर में जैविक क्रांति की मिसाल बनेगा।”
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