गिलोय: खेत की मेढ़ से सेहत तक – एक पौधा, अनेक फायदे
गिलोय, जिसे संस्कृत में ‘अमृता’ और ‘गुडूची’ कहा जाता है, भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना गया है। यह पौधा न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि पशुओं की देखभाल और खेतों की रक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गिलोय एक बेलनुमा पौधा है, जो आमतौर पर पेड़ों, दीवारों या सहारे के चारों ओर लिपट कर बढ़ता है। इसके पत्ते दिल के आकार के होते हैं और तना हल्का हरा होता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह आसानी से कहीं भी उगाया जा सकता है – खेत की मेढ़ पर, बगीचे में या गमले में।
मानव स्वास्थ्य के लिए लाभ:
गिलोय का सबसे प्रसिद्ध गुण इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की शक्ति है। इसका काढ़ा या रस नियमित रूप से सेवन करने से शरीर में विषैले तत्वों की सफाई होती है और व्यक्ति मौसमी बीमारियों से बचा रहता है।
- बुखार (डेंगू, मलेरिया, वायरल) में इसका उपयोग असरदार माना जाता है।
- ब्लड शुगर नियंत्रित करने में भी गिलोय मददगार है।
- यह पाचन शक्ति सुधारता है और पेट संबंधी विकारों में राहत देता है।
- त्वचा रोगों, गठिया, और तनाव से राहत में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
पशुपालन में उपयोग:
गिलोय न केवल इंसानों के लिए बल्कि पशुओं के लिए भी उपयोगी औषधि है।
- गाय-भैंसों और बकरियों को दस्त, बुखार या अपच जैसी समस्या होने पर गिलोय का रस दिया जाता है।
- यह पशुओं की इम्युनिटी को भी बेहतर करता है जिससे वे कम बीमार पड़ते हैं।
खेती में योगदान:
गिलोय की बेल को खेत की मेढ़ पर लगाना प्राकृतिक कीट नियंत्रण में मदद करता है। इसकी गंध और रासायनिक गुण कीटों को दूर रखते हैं।
- यह रासायनिक कीटनाशकों का एक जैविक विकल्प बन सकता है।
- इससे खेत में जैव विविधता बनी रहती है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।
निष्कर्ष:
गिलोय एक ऐसा पौधा है जो एक साथ स्वास्थ्य, पशुपालन और खेती – तीनों क्षेत्रों में उपयोगी है। इसकी सरलता से उगाई जा सकने वाली प्रकृति, कम लागत और बहुउपयोगिता इसे हर किसान के लिए एक आदर्श पौधा बनाती है। आज जब हम प्राकृतिक और जैविक समाधान की ओर लौट रहे हैं, गिलोय जैसे पौधों की अहमियत और बढ़ जाती है।
गिलोय लगाएं, खेत सजाएं और सेहत पाएं – एक देसी पौधा, अनगिनत लाभ!
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