NAAS और TAAS ने कृषि विज्ञान और अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (एनएएएस) और कृषि विज्ञान उन्नति ट्रस्ट (टीएएएस) ने नई दिल्ली में दो प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिकों – डॉ. हिमांशु पाठक, महानिदेशक, आईसीआरआईएसएटी और डॉ. एम.एल. जाट, सचिव, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) और महानिदेशक, आईसीएआर – को उनके संबंधित संस्थानों में नेतृत्वकारी भूमिकाओं में नियुक्त किए जाने पर एक संयुक्त बैठक और सम्मान समारोह का आयोजन किया।
इस दौरान टीएएएस और एनएएएस के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य कृषि विज्ञान, अनुसंधान और नीति विकास में सहयोगी पहलों को बढ़ाना है।
कार्यक्रम के दौरान, डॉ. एम.एल. जाट ने कृषि समुदाय से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमृत काल के सपने को साकार करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कृषि में विज्ञान और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया और किसानों के चेहरों पर मुस्कान लाने के साथ-साथ किसानों के लिए स्थायी आजीविका बनाने के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि किसानों के चेहरों पर मुस्कान लाने और अपने लक्ष्यों को देश के लक्ष्यों के साथ जोड़ने के लिए अब एक संयुक्त सहयोग मिशन का समय आ गया है।
उन्होंने कहा, “हमें वर्तमान वैश्विक रुझानों के संदर्भ में उभरती कृषि आवश्यकताओं का अध्ययन करना चाहिए। आंतरिक प्रणालियों और बाह्य क्षमताओं को मजबूत करना तथा उनका तालमेल सुनिश्चित करना, एक लचीले कृषि इकोसिस्टम के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।” उन्होंने भारतीय कृषि की विविधता से उत्पन्न चुनौतियों तथा उनके समाधान के लिए सुनियोजित, एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
डॉ. हिमांशु पाठक ने सामाजिक परिवर्तन में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक समाज को वैज्ञानिक विचारों को अपनाना और बढ़ावा देना चाहिए, तथा उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान सलाहकार समूह (सीजीआईएआर) और एनएएएस के बीच संयुक्त प्रयासों की पिछली सफलताओं को स्वीकार किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विशेष रूप से आईसीएआर, सीजीआईएआर और विशेष नवाचार टीम (एसआईटी) के बीच निरंतर साझेदारी भारत में कृषि अनुसंधान और नवाचार को और मजबूत करेगी।
टीएएएस के अध्यक्ष डॉ. आरएस परोदा ने कहा कि हमारी कृषि चुनौतियों में देश में खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना शामिल है। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का समाधान जलवायु परिवर्तन को कम करके, बंजर क्षेत्रों को हरित क्षेत्रों में परिवर्तित करके तथा पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देकर किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम के दौरान कई प्रमुख कृषि विशेषज्ञ और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें डॉ. पी.के. जोशी, डॉ. अशोक के. सिंह और डॉ. डब्ल्यू.एस. लाकड़ा शामिल हैं, जिन्होंने भारतीय कृषि में भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर सहयोग के महत्व पर बल दिया।
इस कार्यक्रम का समापन कृषि क्षेत्र में नवाचार, साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता की सामूहिक पुनः पुष्टि के साथ हुआ।
* स्रोत – पीआईबी
निष्कर्ष:
यह ऐतिहासिक समझौता केवल संस्थागत सहयोग का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारतीय कृषि के भविष्य को अधिक वैज्ञानिक, टिकाऊ और किसान–केंद्रित बनाने के हमारे साझा संकल्प को भी दर्शाता है। एनएएएस और टीएएएस का यह कदम कृषि नवाचार, नीति निर्माण और किसानों के जीवन स्तर में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक नई ऊर्जा भरने वाला साबित होगा।
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