“रासायनिक मुक्त खेती की ओर: राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) की क्रांति”

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Krishi Samadhan

रासायनिक मुक्त खेती की ओर: राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) की क्रांति

भारत की कृषि व्यवस्था में सतत विकास और पर्यावरणीय संतुलन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Mission on Natural Farming – NMNF) की शुरुआत की है। यह मिशन किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से दूर करके प्राकृतिक और जैविक तरीकों से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करता है। मिशन का उद्देश्य केवल कृषि उत्पादन को बनाए रखना नहीं है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना, जल संसाधनों का संरक्षण करना, और किसानों की आय को टिकाऊ बनाना भी है।

प्राकृतिक खेती क्या है?

प्राकृतिक खेती वह पद्धति है जिसमें रासायनिक खादों, कीटनाशकों और बाहरी इनपुट्स का प्रयोग नहीं किया जाता। इसके बजाय गाय के गोबर, गौमूत्र, जीवामृत, बीजामृत, वर्मी कम्पोस्ट, और अन्य जैविक संसाधनों से खेती की जाती है। यह पद्धति पर्यावरण के अनुकूल, सस्ती और किसानों के लिए लाभकारी है।

Free Cows peacefully grazing by a lake on a sunny summer day with lush greenery. Stock Photo

NMNF के प्रमुख उद्देश्य:

  1. रासायनिक इनपुट पर निर्भरता घटाना: रासायनिक खादों और कीटनाशकों के उपयोग को कम करके किसानों को आत्मनिर्भर बनाना।
  2. मिट्टी और जल की गुणवत्ता में सुधार: जीवामृत और अन्य जैविक उत्पादों से भूमि की उत्पादकता और जल धारण क्षमता में वृद्धि।
  3. कृषकों की आय में वृद्धि: लागत कम और उत्पादन स्थिर होने से किसानों की आय में वृद्धि।
  4. जलवायु परिवर्तन से लड़ना: कार्बन फुटप्रिंट को कम कर टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना।
  5. FPOs और क्लस्टर आधारित विकास: प्राकृतिक खेती को समूह स्तर पर बढ़ावा देना।

मिशन की कार्यप्रणाली:

  • मिशन को 2022-23 से लागू किया गया है और यह पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित हो रहा है।
  • किसानों को प्रशिक्षण, तकनीकी मार्गदर्शन, और प्रदर्शन प्लॉट्स के माध्यम से शिक्षित किया जा रहा है।
  • राज्य सरकारें, कृषि विश्वविद्यालय, और NGOs इस मिशन में भागीदारी निभा रहे हैं।
  • FPOs (किसान उत्पादक संगठन) के माध्यम से क्लस्टर आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

निष्कर्ष:

राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन भारत की कृषि में एक आवश्यक परिवर्तन की नींव रख रहा है। यह न केवल किसानों की लागत को घटाता है, बल्कि उन्हें पर्यावरण के साथ संतुलन बनाकर खेती करने की प्रेरणा भी देता है। इससे खाद्य सुरक्षा, पोषण और जलवायु अनुकूलन के लक्ष्य भी पूरे किए जा सकते हैं।

आइए, हम सब मिलकर इस हरित क्रांति की दूसरी लहर में सहभागी बनें और भारत को प्रकृति के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ाएं।

 

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