मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता (SH&F)
प्रस्तावना
भारत की कृषि व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाली मृदा (soil) न केवल फसलों की उत्पादकता का आधार है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और किसान की समृद्धि में भी इसकी अहम भूमिका है। मृदा की गुणवत्ता, संरचना और उसमें मौजूद पोषक तत्व सीधे तौर पर फसलों के उत्पादन और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। ऐसे में “मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता” (Soil Health & Fertility) एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है जिसे हर किसान और नीति निर्धारक को समझना चाहिए।
मुख्य विषयवस्तु
मृदा स्वास्थ्य (Soil Health) का आशय उस क्षमता से है जिसमें मृदा फसल उगाने योग्य पोषकता, जैविक गुण और रासायनिक संतुलन बनाए रख सके। जबकि मृदा उर्वरता (Soil Fertility) उस विशेषता को दर्शाती है जिसमें मृदा आवश्यक पोषक तत्वों को फसलों को उपलब्ध करा सके।
मिट्टी की उर्वरता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है:
पोषक तत्वों की मात्रा – जैसे नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P), पोटाश (K)
- जैविक पदार्थों की उपस्थिति – जैसे ह्यूमस, गोबर की खाद
- पीएच मान (pH level) – जो अम्लीय या क्षारीय प्रवृत्ति को दर्शाता है
- सूक्ष्मजीवों की सक्रियता – जो पोषक चक्र को बनाए रखने में मदद करते हैं
मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के उपाय:
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SHC): यह योजना किसानों को उनकी मिट्टी के परीक्षण के आधार पर उर्वरकों और पोषक तत्वों के विवेकपूर्ण उपयोग का मार्गदर्शन देती है।
- जैविक खाद और हरी खाद का प्रयोग: ये न केवल पोषकता बढ़ाते हैं बल्कि मिट्टी की संरचना भी सुधारते हैं।
- फसल चक्र और मिश्रित फसलें: ये मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखते हैं।
- रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग: अत्यधिक उपयोग से मृदा की जैविक गुणवत्ता गिरती है।
- मृदा संरक्षण तकनीकें: जैसे कंटूर खेती, मल्चिंग आदि जिससे क्षरण रोका जा सकता है।
नवीन प्रौद्योगिकी और अनुसंधान:
आज सेंसर आधारित मृदा परीक्षण, GPS तकनीक और सटीक कृषि (Precision Farming) मृदा प्रबंधन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सशक्त बना रहे हैं।
निष्कर्ष
मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार केवल एक कृषि तकनीक नहीं, बल्कि यह टिकाऊ कृषि और भविष्य की खाद्य सुरक्षा की कुंजी है। यह जरूरी है कि किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच तालमेल हो ताकि मृदा को एक जीवंत संसाधन के रूप में देखा जाए, न कि केवल एक माध्यम के रूप में।
“स्वस्थ मृदा, समृद्ध किसान और सुरक्षित भविष्य की ओर पहला कदम है।“
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