सेब पपड़ी रोग के सबसे पहले लक्षण, बसंत में पत्तियों पर सूक्ष्म, गोल, जैतून-हरे धब्बों के रूप में नज़र आते हैं। ये अक्सर मुख्य शिरा के आसपास होते हैं। बढ़ने पर ये भूरे-काले पड़ जाते हैं और अंत में आपस में मिलकर बड़े परिगलित हिस्सों में बदल जाते हैं। प्रभावित पत्तियां अक्सर टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं और समय से पहले गिर जाती हैं जिससे गंभीर संक्रमण होने पर पत्तियां झड़ जाती हैं। नई टहनियों पर संक्रमण होने के कारण फफोले से पड़ जाते हैं और वे चटक जाती हैं जिससे अवसरवादी रोगाणुओं को प्रवेश करने का रास्ता मिल जाता है। फलों पर भूरे से लेकर गहरे भूरे गोल क्षेत्र नज़र आने लगते हैं। बढ़ने पर ये अक्सर आपस में मिल जाते हैं और उभरे हुए, सख्त, कड़े हो जाते हैं। इस कारण फल बढ़ता नहीं है, वह टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है, छिलके के फटने की जगह पर गूदा बाहर आ जाता है। हल्का सा हमला फल की गुणवत्ता को बहुत ज़्यादा प्रभावित नहीं करता, परंतु पपड़ी रोग के कारण फल मौक़ापरस्त रोगाणुओं और सड़न का आसान शिकार बन सकते हैं जिससे भंडारण क्षमता और गुणवत्ता प्रभावित होती है।
Leave a Reply