मेथी

Krishi Samadhan > मेथी

मेथी

मेथी (लिग्यूमनस) परिवार से संबंधित है। यह पूरे देश में उगाई जाने वाली बहुत आम फसल है। इसके पत्ते सब्जी के तौर पर और बीज स्वाद बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। मेथी के पत्तों और बीजों के औषधीय गुण भी हैं, जो कि  रक्तचाप और कोलैस्ट्रोल को कम करने में सहायक होते हैं। इसे चारे के तौर पर भी प्रयोग किया जाता है। भारत में राज्यस्थान मुख्य मेथी उत्पादक राज्य है। मध्य प्रदेश, तामिलनाडू, राज्यस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पंजाब अन्य मेथी उत्पादक राज्य हैं।

मिट्टी

इसे सभी प्रकार की मिट्टी जिनमें कार्बनिक पदार्थ उच्च मात्रा में हो, उगाया जा सकता है पर यह अच्छे निकास वाली बालुई और रेतली बालुई मिट्टी में अच्छे परिणाम देती है। यह मिट्टी की 5.3 से 8.2 पी एच को सहन कर सकती है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

ML 150:

इसके पौधे के पत्ते गहरे हरे और अधिक फलियां होती हैं। इसके बीज चमकदार, पीले और मोटे होते हैं। इसे चारे के तौर पर भी प्रयोग किया जाता है। इसकी औसतन पैदावार 6.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

दूसरे राज्यों की किस्में

अन्य व्यापारिक किस्में :

Kasuri, Methi No 47, CO 1, Hissar Sonali, Methi no 14. Pusa early bunching, Rajendra Kranti

HM 219: 

यह अधिक उपज देने वाली किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 8-9 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह पत्तों के सफेद धब्बे रोग की प्रतिरोधक है।

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की दो . तीन बार जोताई करें उसके बाद सुहागे की सहायता से ज़मीन को समतल करें। आखिरी जोताई के समय 10-15 टन प्रति एकड़ अच्छी तरह से गली हुई रूड़ी की खाद डालें। बिजाई के लिए 3ग2 मीटर समतल बीज बैड तैयार करें।

बिजाई

बिजाई का समय

इस फसल की बिजाई के लिए अक्तूबर का आखिरी सप्ताह और नवंबर का पहला सप्ताह अच्छा समय है।

 फासला

पंक्ति से पंक्ति का फासला 22.5 सैं.मी का प्रयोग करें।

बीज की गहराई

बैड पर 3.4 सैं.मी. की गहराई पर बीज बोयें।

 बिजाई का ढंग

इसकी बिजाई हाथ से छींटे द्वारा की जाती है।

  बीज की मात्रा

एक एकड़ खेत में बिजाई के लिए 12 किलोग्राम प्रति एकड़ बीजों का प्रयोग करें।

फसली चक्र

मेथी के साथ खरीफ फसलें जैसे धान, मक्की, हरी मूंग और हरे चारे वाली फसलें उगाई जा सकती हैं।

 बीज का उपचार

बिजाई से पहले बीजों को 8 से 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। बीजों को मिट्टी से पैदा होने वाले कीट और बीमारियों से बचाने के लिए थीरम 4 ग्राम और कार्बेनडाज़िम 50 प्रतिशत डब्लयु पी 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचार करें। रासायनिक उपचार के बाद  एज़ोसपीरीलियम 600 ग्राम ़ ट्राइकोडरमा विराइड 20 ग्राम प्रति एकड़ से प्रति 12 किलो बीजों का उपचार करें।

 

फंगसनाशी दवाई        मात्रा (प्रति किलोग्राम बीज)
Carbendazim 3gm
Thiram 4gm

 

खाद

UREA SSP MURIATE OF POTASH
12 50

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
5 8

 

बिजाई के समय 5 किलो नाइट्रोजन (12 किलो यूरिया) 8 किलो पोटाश्यिम (50 किलो सुपर फासफेट) प्रति एकड़ में डालें।

अच्छी वृद्धि के लिए अंकुरन के 15-20 दिनों के बाद ट्राइकोंटानोल हारमोन 20 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। बिजाई के 20 दिनों के बाद NPK(19:19:19)  75 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी की स्प्रे भी अच्छी और तेजी से वृद्धि करने में सहायता करती है। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए ब्रासीनोलाइड 50 मि.ली. प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 40-50 दिनों के बाद स्प्रे करें। इसकी दूसरी स्प्रे 10 दिनों के बाद करें।  कोहरे से होने वाले हमले से बचाने के लिए थाइयूरिया 150 ग्राम प्रति एकड़ की 150 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 45 और 65 दिनों के बाद स्प्रे करें।

खरपतवार नियंत्रण

खेत को नदीन मुक्त करने के लिए एक या दो बार गोडाई करें। पहली गोडाई बिजाई के 25-30 दिनों के बाद और दूसरी गोडाई पहली गोडाई के 30 दिनों के बाद करें। नदीनों को रासायनिक तरीके से रोकने के लिए फलूक्लोरालिन 300 ग्राम प्रति एकड़ में डालने की सिफारिश की जाती है इसके इलावा पैंडीमैथालिन 1.3 लीटर प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 1-2 दिनों के अंदर अंदर मिट्टी में नमी बने रहने पर स्प्रे करें।

जब पौधा 4 इंच ऊंचा हो जाता है तो उसे बिखरने से बचाने के लिए बांध दें।

 सिंचाई

बीजों के जल्दी अंकुरन के लिए बिजाई से पहले सिंचाई करें। मेथी की उचित पैदावार के लिए बिजाई के 30, 75, 85, 105 दिनों के बाद तीन से चार सिंचाई करें। फली के विकास और बीज के विकास के समय पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए क्योंकि इससे पैदावार में भारी नुकसान होता है।

फसल की कटाई

सब्जी के तौर पर उपयोग के लिए इस फसल की कटाई बिजाई के 20-25 दिनों के बाद करें। बीज प्राप्त करने के लिए इसकी कटाई बिजाई के 90-100 दिनों के बाद करें। दानों के लिए इसकी कटाई निचले पत्तों के पीले होने और झड़ने पर और फलियों के पीले रंग के होने पर करें। कटाई के लिए दरांती का प्रयोग करें।

कटाई के बाद

कटाई के बाद फसल की गठरी बनाकर बांध लें और 6-7 दिन सूरज की रोशनी में रखें। अच्छी तरह से सूखने पर इसकी छंटाई करें, फिर सफाई करके ग्रेडिंग करें।