पौष्टिकता और स्वच्छता का भरोसा है “घराट का आटा”
घराट का पीसा आटा फाइबर से भरपूर स्वादिष्ट और सभी पौष्टिक तत्वों को संजोते हुए आपके आहार में शामिल होता है। आपको इस आटा में किसी एक्स्ट्रा प्रोटीन का भ्रम डालने की जरूरत होती है और ना आपको इनको पचाने की जद्दोजहद के लिए दवाईयों का डोंज लेना पड़ता है।
आपकी शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता का तो मानो रामबाण इलाज है। रही बात पहाड़ो की तो कभी पुराने जमाने में छोटी-बड़ी नदियों के किनारे पानी की कल-कल के आवाज के साथ “घराट” में मेला सा लगा रहता था, पहाड़ों के ये “घराट” पहाड़ की सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन की धुरी हुआ करते थे। तत्कालीन समय में गेहूं, मक्की और मडवा आदि पीसने का “घराट” एकमात्र साधन था। “घराट” संचालक को अनाज पीसने के बदले थोड़ा बहुत अनाज (भाग) मिला करता था जिससे उसकी रोजी रोटी चलती थी।
सर्वांगीण कृषि समाधान फाउंडेशन का लक्ष्य विलुप्त होती इस प्राकृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करना और पौष्टिक अन्न को देश दुनिया की रसोई की ताकत बनाना हैं। कृषि समाधान में घराट आटा ना सिर्फ ताजा मिलेगा बल्कि बेहतरीन क्वालिटी का भी मिलेगा।
आपकी सेहत आपके पेट के रास्ते गुजरती हैं और आपकी उम्र के हिसाब से आपको सुपाच्य और अच्छे अनाज का सेवन करना भी जरूरी होता हैं। शहरो में प्रदूषण और खाने की घटिया क्वालिटी अच्छे पैकेजिंग में आपके सेहत का कबाड़ निकालने में सक्षम हैं। मील के आटे में बहुत से पौष्टिक तत्व जल जाते हैं जबकि घराट का आटा धीरे-धीरे अनाज पिसने के फलस्वरूप अधिकतम लाभ देता है यही वजह हैं कि कृषि समाधान आपके लिए घराट का शुद्ध आटा ला रहा हैं, स्वस्थ रहना है तो गुणवत्ता का ध्यान रखना होगा।
और हाँ आटा, आटा होता हैं उससे बनी रोटी आपको दाल, सब्जी, गुड़ – घी, अचार या दूध – दही के साथ खानी होती हैं। जिसमे जरूरी प्रोटीन और विटामिन्स मौजूद होते हैं, उस आटे में पोषक तत्व के नाम पर मिलावट करके अपनी सेहत बिगाड़ने की कोई जरूरत नहीं हैं। व्यापार के नाम पर लोग बाजार में सब कुछ बेच रहे हैं। लेकिन सर्वांगीण कृषि समाधान फाउंडेशन आपको प्राकृतिक और गुणकारी आहार परोसना चाहता है। हमारा संकल्प आपके स्वाद के साथ-साथ आपकी सेहत का उचित ख्याल रखना हैं। कृषि समाधान द्वारा घराट में पीसे गए आटे में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
कैसे काम करता है घराट..
“घराट” छोटी नदी, नाले के एक छोर पर स्थापित किया जाता है। जिसमें नदी के किनारे से लगभग 50 से 150 मीटर तक लंबी नहरनुमा नालीदार लकड़ी (पनाले) के जरिये जिसकी ऊंचाई से 49 अंश के कोण पर स्थापित करके पानी को उससे प्रवाहित किया जाता है। पानी का तीव्र वेग होने के कारण घराट के नीचे एक गोल चक्का होता है, जो पानी के तीव्र गति से घूमने लगता है। वी आकार का एक सिरा बनाया जाता है जिसमें अनाज डाला जाता है ओर उसके नीचे की ओर अनाज निकल कर पत्थर के गोल चक्के में प्रवाहित होकर अनाज पीसने लगता है। चक्का पानी के वेग से चलता है और अनाज धीरे-धीरे पतला पीसा जाता है।
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