गेहूँ

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गेहूँ

गेहूँ विश्वव्यापी महत्त्व की फ़सल है। यह लाखों लोगों का मुख्य खाद्य है। मुख्य रूप से एशिया में धान की खेती की जाती है, तो भी विश्व के सभी प्रायद्वीपों में गेहूँ उगाया जाता है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के लिए गेहूँ लगभग 20 प्रतिशत आहार कैलोरी की पूर्ति करता है। विश्वव्यापी गेहूँ उत्पादन वर्ष 2007-2008 में 62.22 करोड़ टन तक पहुँच गया था। भारत गेहूँ का चीन के बाद दूसरा विशालतम उत्पादक है। खाद्यान्न फ़सलों के बीच गेहूँ विशिष्ट स्थान रखता है।

चावल के बाद गेहूँ देश का दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। देश के कुल 10 प्रतिशत भाग पर गेहूँ की कृषि की जाती है, किंतु चावल की अपेक्षा इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 2500 किलोग्राम, अधिक है। गेहूँ की अधिकांश कृषि सिंचाई के सहारे की जाती है। भारत में इसकी खेती का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और नवम्बर का समय होता है। इस समय बोई गई फ़सल से काफ़ी अच्छा लाभ प्राप्त होता है। हरित.क्रांति का सबसे अधिक प्रभाव गेहूँ की कृषि पर ही पड़ा है। गेहूँ के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा में हरित. क्रांति के प्रयोगों से उच्च उत्पादकता तथा उत्पादन की मात्रा अधिक प्राप्त की गई है। इन राज्यों में कुल 758 लाख टन गेहूँ का उत्पादन हुआ, जो 1990-91 की तुलना में 3.67 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। 2006-2007 में उत्तर प्रदेश देश के कुल उत्पादन का 34.71 प्रतिशत पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा बिहार गेहूँ के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उत्पादक राज्य हैं, जो गुजरात तथा महाराष्ट्र राज्यों के साथ मिलकर देश के लगभग 90 प्रतिशत गेहूँ का उत्पादन करते हैं। उत्तर प्रदेश में दक्षिणी पर्वतीय एवं पठारी भूमि को छोड़कर सर्वत्र भाग में गेहूँ की कृषि की जाती हैं।

गेहूँ के प्रकार 

भारत में गेहूँ मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है.

1. मृदु गेहूँ

2. कठोर गेहूँ

ट्रिटिकम ऐस्टिवम ;रोटी गेहूँ, मृदु गेहूँ होता है और ट्रिटिकम डयूरम कठोर गेहूँ होता है। भारत में मुख्य रूप से ट्रिटिकम की तीन जातियों जैसे ऐस्टिवम, डयूरम एवं डाइकोकम की खेती की जाती है। ट्रिटिकम ऐस्टिवम की खेती देश के सभी क्षेत्रों में की जाती है जबकि डयूरम की खेती पंजाब एवं मध्य भारत में और डाइकोकम की खेती कर्नाटक में की जाती है।

विश्व वितरण

विश्व की कुल 23 प्रतिशत हेक्टेयर भूमि पर गेहूँ की खेती की जाती है। गेहूँ का वार्षिक उत्पादन 50 करोड़ टन है।

प्रमुख उत्पादक देश

संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, यूरोपीय देश, कनाडा, तुर्की, पाकिस्तान, अर्जेण्टीना, उत्तरी अफ़्रीका के देश दक्षिणी अफ़्रीका मैक्सिकों, रूस, चिली आदि।

भारत

भारत विश्व में गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से तीसरा बड़ा देश है। यहाँ विश्व का 8 प्रतिशत गेहूँ पैदा किया जाता है। मुख्य उत्पादन क्षेत्र उत्तर प्रदेश 33 प्रतिशत, पंजाब 23 प्रतिशत मध्य प्रदेश 11 प्रतिशत तथा हरियाणा 9 प्रतिशत है। भारत में हरित क्रांति के दौरान गेहूँ की अनेक उच्च उत्पादकता वाली किस्में विकसित की गईं। इनमें लरमा, रोजो, सोनार 64, कल्याण सोना, सोनालिका, अर्जुन, प्रताप, मुक्ता, शैलजा आदि प्रमुख हैं। राज 3077 गेहूँ की ऐसी नयी किस्म है, जिसमें अन्य प्रजातियों की अपेक्षा 12 प्रतिशत अधिक प्रोटीन पाया जाता है। इसे अम्लीय एवं क्षारीय दोनों प्रकार की मिट्टियों में बोया जा सकता है। ट्रिटिकेल डी 46 भारत में गेहूँ और राई के मिश्रण से बनी नयीं संकर प्रजाति है। गेहूँ का अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान मैक्सिको तथा दमिश्क, सीरिया, में स्थित है।

संयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादन देश है। यहाँ विश्व का 13 प्रतिशत गेहूँ पैदा किया जाता है। यहाँ पर 2.6 करोड़ टन हेक्टेयर भूमि पर 6.6 करोड़ मीट्रिक टन गेहूँ की उपज होती है।

चीन

चीन विश्व का दूसरा बड़ा गेहूँ उत्पादन देश है। यहाँ विश्व का 12 प्रतिशत गेहूँ पैदा किया जाता है। चीन में दो प्रकार के गेहूँ का उत्पादन होता है। वसंतकालीन गेहूँ और शीतकालीन गेहूँ। बसंतकालीन गेहूँ मंचूरिया तथा आंतरिक मंगोलिया में बोया जाता है। जबकि शीतकालीन गेहूँ ह्वांगहों नदी की घाटी तथा यांगट्सी नदी की घाटी में बोया जाता है।

गेहूँ से फ़ायदे

  • गेहूँ की रोटी अन्य अन्नों से अच्छी होती है। दस्त हो जाने पर सौंफ को पीसकर पानी में मिलाकर, तथा छानकर सौंफ के पानी में गेहूँ का आटा मिलाकर रोटी बनाकर खाने से लाभ होता है।
  • गेहूँ उबालकर तथा उसके गर्म-गर्म पानी से सूजन वाली जगह को धोने से सूजन कम हो जाती है।

  • 12 ग्राम गेहूँ को पीसकर तथा उसमें 12 ग्राम ही शहद मिलाकर चाटने से टूटी हुई हड्डियाँ जुड़ जाती हैंए तथा कमर और जोड़ों के दर्द में भी आराम मिलता है।

  • गेहूँ और चनों को उबालकर उसका पानी पिलाने से गुर्दा और मूत्राशय की पथरी गल जाती है।

  • गेहूँ की रोटी एक ओर सेंक लें, एक ओर कच्ची रखें, कच्ची रोटी की ओर से तिल का तेल लगाकर दर्द वाले अंग पर बाँध दें। इससे दर्द दूर हो जाता है।