कैंकर क्या होता है ? इसका रोकथाम कैसे करे ?

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कैंकर (Canker) एक प्रकार की बीमारी है जो पेड़-पौधों के तने, शाखाओं, या छाल पर घाव के रूप में दिखाई देती है। कैंकर का मुख्य कारण फंगस या बैक्टीरिया का संक्रमण है, जो पौधों की कोशिकाओं को नष्ट करके घाव पैदा करता है। विशेष रूप से सेब के पेड़ इस बीमारी से अधिक प्रभावित होते हैं, और समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह पेड़ को अंदर से खोखला कर सकती है, जिससे उसकी उत्पादकता पर बुरा असर पड़ता है।

कैंकर के कारण:

  1. फंगस और बैक्टीरिया का संक्रमण: कैंकर रोग का सबसे बड़ा कारण फंगस (फफूंद) का संक्रमण है। ये फंगस पर्यावरण में मौजूद होता है और पेड़ की छाल पर घाव या कट के माध्यम से अंदर प्रवेश करता है। ये पेड़ की कोशिकाओं को नष्ट करके छाल और लकड़ी को सड़ाता है।

  2. प्रुनिंग उपकरणों का दूषित होना: कैंकर फैलने का एक प्रमुख कारण है, संक्रमित पेड़ की प्रूनिंग (छंटाई) के लिए इस्तेमाल की गई कैंची या उपकरणों का उपयोग स्वस्थ पेड़ों पर करना। अगर ये उपकरण ठीक से साफ नहीं किए गए हैं, तो संक्रमित पेड़ से रोगजनक स्वस्थ पेड़ में फैल सकता है।

  3. खराब रखरखाव और देखभाल: अगर पेड़ों की नियमित देखभाल नहीं की जाती, जैसे कि सही समय पर छंटाई और कटाई न करना, तो पेड़ पर घाव बने रह सकते हैं। ऐसे घाव कैंकर के संक्रमण के लिए अनुकूल होते हैं।

  4. जल निकासी की समस्या: अधिक पानी या जल निकासी की कमी के कारण भी पेड़ कमजोर हो सकते हैं, जिससे वे फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।

कैंकर के लक्षण:

  • छाल का सूखना और फटना।
  • शाखाओं या तनों पर गहरे भूरे या काले घाव।
  • पत्तियों का मुरझाना और शाखाओं का सूखना।
  • पेड़ की वृद्धि रुक जाना और उत्पादन में कमी आना।

रोकथाम और नियंत्रण के उपाय:

  1. प्रभावी प्रुनिंग और सफाई: जब भी पेड़ों की छंटाई की जाए, तो सुनिश्चित करें कि उपकरण साफ और कीटाणुरहित हों। प्रुनिंग के बाद, घाव को तेज चाकू से साफ करके उस पर व्लाइटक्स या चौपाटिया पेंट का लेप लगाना चाहिए ताकि फंगस का संक्रमण न फैले।

  2. संतुलित पोषण: पौधों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए संतुलित खाद का उपयोग करना चाहिए। फासफोरस और पोटाश को गोबर के साथ मिलाकर पौधों में डालना फायदेमंद होता है। यह पौधों की प्रतिरक्षा को बढ़ाने और उन्हें रोगों के प्रति अधिक मजबूत बनाने में मदद करता है।

  3. घावों का उपचार: यदि पेड़ पर कैंकर के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत घाव को साफ करके उस पर कीटाणुनाशक पेस्ट लगाएं। इससे घाव सूख जाएगा और संक्रमण आगे नहीं बढ़ेगा।

  4. प्रभावित शाखाओं का हटाना: यदि किसी पेड़ की कोई शाखा कैंकर से ग्रसित हो जाए, तो उसे तुरंत काटकर पेड़ से अलग कर देना चाहिए ताकि रोग अन्य शाखाओं या पेड़ों में न फैले।

  5. पेड़ के स्वास्थ्य की निगरानी: पेड़ की नियमित रूप से जाँच करें और किसी भी असामान्यता को तुरंत पहचानकर उसका इलाज करें। इससे बीमारी को फैलने से पहले नियंत्रित किया जा सकता है।

  6. रोग प्रतिरोधक फंगीसाइड्स का उपयोग: कैंकर के नियंत्रण के लिए, बाजार में उपलब्ध विभिन्न फंगीसाइड्स का उपयोग किया जा सकता है। इन्हें पौधों पर लगाने से फंगस के विकास को रोका जा सकता है।

  7. खराब पेड़ों को हटाना: यदि कैंकर का संक्रमण बहुत ज्यादा फैल गया है और उपचार से लाभ नहीं मिल रहा है, तो उस पेड़ को काटकर हटा देना चाहिए। इससे अन्य स्वस्थ पेड़ों को संक्रमित होने से बचाया जा सकता है।

निष्कर्ष:

कैंकर रोग से बचाव के लिए, नियमित देखभाल और पौधों की सही प्रकार से छंटाई आवश्यक है। संक्रमण फैलने से रोकने के लिए, प्रूनिंग के उपकरणों की सफाई और घावों का उचित उपचार बेहद महत्वपूर्ण है। संतुलित पोषण और समय-समय पर पेड़ों की जांच से कैंकर रोग को प्रारंभिक अवस्था में ही नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे पेड़ स्वस्थ और उत्पादक बने रहते हैं।

One thought on “कैंकर क्या होता है ? इसका रोकथाम कैसे करे ?

  1. AlizaC

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