उन्नत कृषि यंत्रों से श्रम एवं समय की बचत
अनेक कार्य एवं उन्नत कृषि यंत्र
कृषक महिलाएं चाहे खुद श्रम करें या अपने खेतों पर करवायें, उन्हें उन्नत यंत्रों की जानकारी होना आवश्यक है। कृषक महिलाओं को सभी यंत्रों जैसे. जुताई, बुआई, पौधरोपण, निराई, गुड़ाई, कटाई, थ्रेशिंग आदि की जानकारी होनी चाहिए। अनाज की सफाई, ग्रेडिंग, छंटाई, संग्रहण एवं भंडारण सभी कार्य करने होते हैं। इसके उपरांत फसलों में कई प्रक्रियाएं की जाती हैं। लाख एवं कपास, तेंदूपत्ता की तुड़ाई, गन्ना कटाई आदि कार्यों में मशक्कत के साथ ये कार्य कठिन भी होते हैं। अतः इन्हीं कार्यों को ध्यान में रखकर उन्नत कृषि यंत्रों का आविष्कार किया गया है।
महिलाओं की अहम भूमिका एवं कृषि यंत्र
कृषि में महिलाओं की अहम भूमिका है। हमारे देश में कृषि के हर कार्य ये जुड़ी हैं। ऐसा कोई कार्य नहीं है, जिसमें महिलाएं मदद नहीं करती हैं। खेत तैयार करना हो या बीज तैयार करना हो, बुआई से लेकर कटाई एवं भंडारण तक सभी कार्य महिलाएं भी पुरुषों के साथ मिलकर करती हैं। पौध रोपण में इनकी अहम् भूमिका है। कई ऐसे कार्य हैं जो महिलाओं के बिना संभव ही नहीं हैं। परन्तु इन कार्यों के लिये महिलाएं उन्नत यंत्रों का उपयोग नहीं करतीं या हम यों कहें कि ज्यादातर पुरुषों द्वारा किये जा रहे कार्यों में यंत्रों का उपयोग अधिक होता है। महिलाओं लिये यंत्रों का आविष्कार कम हुआ है। परन्तु आज के समय में हर जगह इनकी महत्ता को समझा गया है। महिलाओं के हर पहलू को ध्यान में रखकर कृषि यंत्रों का आविष्कार किया जा रहा है। कृषक महिलाओं द्वारा पुराने यंत्रों का उपयोग करने से थकान अधिक होती है एवं कई रोगों से ये ग्रसित हो जाती हैं। उपरोक्त सभी कार्यों को करने के लिये ऐसे यंत्रों को बनाया गया है, जिनमें महिलाओं के कार्य करने के तरीके में परिवर्तन होता है, श्रम कम लगता है, थकान कम होती है, समय कम लगता है एवं उपयोग करना आसान है। ऐसे कुछ यंत्र यहां आपको बताते हैं:
सीड ट्रीटमेन्ट ड्रम
कृषक महिलाएं बीज उपचार करने के लिए बीज को बोरे में या तगारी में रखकर इसको उपचारित करती हैं, जिससे कहीं-कहीं से बीज छूट जाते हैं। कुछ बीज उपचारित नहीं हो पाते हैं, परन्तु अगर सीड ट्रीटमेन्ट ड्रम का उपयोग किया जाये तो श्रम कम लगता है।
नवीन डिबलर
यह बीज बोने का उपकरण है, जब एक-एक बीज को समान दूरी पर एवं समान गहराई पर बोना होता है तो इस यंत्र का उपयोग किया जाता है। यह कार्य अधिकांश महिलाएं ही करती हैं जैसे, लहसुन लगाना या मटर बोना, फूल का बीज, सभी को समान दूरी एवं समान गहराई पर बोना होता है। इस प्रकार बीज ठीक से अंकुरित हो पाते हैं एवं उनको बढ़ने और फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल पाती है। अभी पुराने तरीके से महिलाएं एक-एक बीज हाथ से बोती हैं, जिससे उन्हें पीठ एवं कमर का दर्द होता है। इसके साथ ही अगर अलग पंक्ति में 2 महिलाएं बीज लगाती हों तो समान दूरी पर नहीं लगा पातीं। इसके साथ ही समान गहराई पर भी नहीं लगा पातीं। इस यंत्र का उपयोग किया जाये तो सभी ओर समान रूप से बीज लगता है एवं अंकुरण तथा उत्पादन अच्छा होता है।
मूंगफली निकालने का यंत्र
मूंगफली से दाने निकालने का कार्य अधिकतर महिलाएं ही करती हैं। महिलाएं मूंगफली को हाथ से कूटकर दाने निकालती हैं, परन्तु इससे दानों के टूटने का डर रहता है। इससे बीज के लिये दानों का उपयोग नहीं हो पाता। अगर इस यंत्र का उपयोग किया जाये तो मूंगफली से छिल्के अलग एवं दाने अलग हो जाते हैं। एक समय में 11 कि.ग्रा./घंटे की दर से दाना निकाला जा सकता है एवं इसके उपयोग से थकान कम लगती है।
अनाज साफ करने का छन्ना (ग्रेन क्लीनर)
खेतों से प्राप्त उपज जब अनाज के रूप में घर या गोदाम में रखनी होती है तो रखने के पूर्व अनाज की सफाई करना आवश्यक है। इस कार्य के लिये अधिकांश महिलाएं सूप या छोटी छलनी का उपयोग करती हैं, जिससे अनाज साफ करने में समय एवं श्रम अधिक लगता है। इससे महिलाओं को हाथों में एवं पीठ में दर्द होने लगता है। इन सब समस्याओं को देखते हुए सी.ए.आई.ई. ने ऐसे छन्ने का आविष्कार किया है, जिससे 1 या 2 महिलाएं मिलकर अधिक अनाज छान सकती हैं। इसे ऊपर से लटकाकर अनाज छानते हैं। इसकी कार्यक्षमता 225 कि.ग्रा./घंटा है एवं इससे 63 प्रतिशत श्रम की बचत होती है।
नवीन हंसिया
कृषि में कार्य समय पर नहीं हो तो बहुत आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। कटाई अगर समय पर एवं सही तरीके से न हो तो नुकसान होता है। अतः कटाई के लिये अच्छे यंत्रों का उपयोग करना चाहिये। कटाई के लिए अधिकांश तौर पर हंसिये का उपयोग होता है। उसकी बनावट में श्रम को महत्व नहीं दिया गया। अतः हंसिये से फसल काटते समय मेहनत एवं समय अधिक लगता है परन्तु अगर उन्नत सीकल (नवीन हंसिए) का उपयोग करें तो श्रम कम लगता है। इसे तकनीकी तरीके से बनाया गया है। यह वजन में हल्का होता है। दांते तेज होने से कम मेहनत में ज्यादा कटाई की जा सकती है। अगर इसका उपयोग महिलाएं करती हैं तो उनको 15 प्रतिशत श्रम की बचत होती है एवं कम समय में अधिक कार्य किया जा सकता है।
हैण्ड स्प्रेयर
जब खेतों में कीट लग जाते हैं तो दवाई छिड़कने लिए कृषक महिलाएं, पुरुषों पर निभर्र रहती हैं, परन्तु अब ऐसे पंप मिलते हैं जिन्हें महिलाएं उपयोग कर सकती हैं। ये स्प्रेयर हैण्ड अलग-अलग क्षमता के मिलते हैं। महिलाएं पीठ पर लगाकर नली से स्प्रे कर सकती हैं। छोटी ग्रहवाटिका के लिए छोटे स्प्रेयर मिलते हैं जिसमें 1 लीटर से 3 लीटर (पानी-दवा) भरकर उपयोग किया जाता है।
सीडड्रिल
बीज बोने का अधिकांश कार्य महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। ये बीज को गले में आगे एक कपडे़ में बांधकर लटका लेती हैं एवं मुट्ठी से बीज डालती हैं। बैलों द्वारा यह बुआई हो ती है अतः एक व्यक्ति बैलों को चलाता है। इस कार्य में जो महिलाएं निपुण होती हैं वे तो एक जैसी बुआई कर लेती हैं। परन्तु मुट्ठी से बीज डालते हुए कभी बीज अधिक गिरता है तो कभी कम गिरता है। इससे बीज भी अधिक लगता है एवं अधिक उगे पौधे फसल को कमजोर बनाते हैं। इसके साथ महिलाओं को बीज गले में लटकाने से पीठ एवं गले में दर्द होने लगता है और थकान महसूस होती है। इससे उनकी कार्यक्षमता भी कम होती है।
डस्टर
अगर हमें सूंखी दवाई का उपयोग करना है तो डस्टर का उपयोग करना चाहिये। इसे हाथ एवं पैर से चलाना होता है। सूखी दवाई पौधों पर डाली जा सकती है। इसका उपयोग करना आसान है और श्रम एवं समय की बचत होती है।
मक्का दाना निकालने का यंत्र
इस यंत्र को इस प्रकार बनाया गया है कि भुट्टा इसमें लगाकर गोल घुमाने से दाने निकलते जाते हैं। रात्रि में बैठकर टी.वी. देखते हुए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। इससे न तो हाथ में चोट लगने का डर होता है और न ही अधिक थकान लगती है। इसकी कीमत 30 रुपये है। इसकी कार्य क्षमता 27 कि.ग्रा./घंटा है एवं 15 प्रतिशत श्रम की बचत होती है। दाने अगर बड़ी मात्रा में निकालना हो तो रोटरी मेज शेलर का उपयोग किया जा सकता है। इसकी कीमत 4500 रुपये है एवं इसकी कार्यक्षमता 73 कि.ग्रा./घंटा है।
स्त्रोत: खेती पत्रिका, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर),कृषि विज्ञान केन्द्र कस्तूरबा ग्राम, इन्दौर ;मध्य प्रदेश